कवि निर्दोष जैन लक्ष्य जी द्वारा 'प्यार' विषय पर रचना

प्यार                      

    प्यार ,प्यार , प्यार , प्यार होना चाहिये 
            आदमी का आदमी  से प्यार होना चाहिये 
   सभी से अच्छा व्यवहार   होना   चाहिये 
            आपस में सदा   सद विचार होना चाहिये 
  राग द्वेष का ना मन में भाव होना चाहिये 
            क्रोध, मान, लोभ    सब छोड़ देना चाहिये 
  देश से सदा ही अपने प्यार होना चाहिये 
            तिरंगे का  सदा     सम्मान होना   चाहिये 
  जात पात का ना भेद भाव   होना चाहिये 
          मंदिर, मस्जिद पर ना टकराव होना चाहिये 
 प्यार, प्यार , प्यार , प्यार होना चाहिये 
      ना हिंदू,  सिख ,ईसाई, मुसलमान होना चाहिये 
 हर दिल में सिर्फ  हिंदुस्तान होना चाहिये 
                     प्यार में ही बसते भगवान ...दोस्तों 
  प्यार   से ही दुश्मन.... मेहमान   दोस्तों 
                    प्यार से ही      अपना जहान दोस्तों 
  नफरत की दीवारें .....अब गिराओ दोस्तों 
        ..........." लक्ष्य," लिख रहा सिर्फ प्यार दोस्तों 
  प्यार , प्यार , प्यार बस प्यार दोस्तों 

              स्वरचित ........निर्दोष लक्ष्य जैन

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