कवयित्री डॉ.विजय लक्ष्मी जी द्वारा रचना ““गाँधी जी अहिंसा और प्रेम""

*(बदलाव मंच राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय)*    *प्रतियोगिता हेतु गद्य लेख* 

 *"गाँधी जी अहिंसा और प्रेम"* 

आज के वर्तमान युग में सभी को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों की आवश्यकता है। अहिंसा और प्रेम ही गाँधी जी के लिए सब कुछ था। हमें यह विचार करना चाहिए कि बापू ने अहिंसा और प्रेम को ही अत्यधिक महत्व क्यों दिया, क्योंकि प्रेम और अहिंसा के मार्ग पर चलने से साक्षात् ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। हिंसा के मार्ग पर चलकर हम वह सब प्राप्त कर लेते हैं जो हमें चाहिए होता है, लेकिन हृदय में सुकून नहीं मिलता है। सब कुछ पा लेने पर भी ऐसा नहीं लगता कि हमें सब कुछ मिल गया है। प्रेम और अहिंसा में बहुत शक्ति होती है जिससे सारे विश्व में ऊर्जा का संचार फैलाया जा सकता है। बापू अहिंसा और प्रेम के पुजारी थे। अहिंसा और प्रेम के बल पर ही उन्होंने पूरे विश्व को अपना बना लिया था। समस्त संसार प्रेम और अहिंसा से ही शान्ति के साथ रह सकता है। हिंसा का विचार भी मन में लाने से नकारात्मकता का संचार चित्त में उत्पन्न हो जाता है जो कि हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में रूकावट डालता है। जब हम सकारात्मक सोचते हैं तो शरीर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। मन, वचन और कर्म से किसी की हिंसा ना करना अहिंसा कहा जाता है। महात्मा गाँधी कहते हैं कि एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से अलग करती है वह अहिंसा है। अहिंसा से मन शान्ति और आनन्द का अनुभव हाेता है। सही और गलत में अन्तर करने की शक्ति मिलती है। अहिंसा के मार्ग पर चलकर जीवन में प्रसन्नता का माहौल बन जाता है जोकि किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने देता। हम सब को गाँधी जी के विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए, क्योंकि स्वयं बापू ने भी यही किया। इसीलिए उन्हें "महात्मा" की उपाधि प्रदान की गई। यदि हमें सत्य को प्राप्त करना है तो अहिंसा और प्रेम को अपनाना होगा। जब हमारे हृदय में प्रेम का वास होगा तब स्वयं ही हम अहिंसा के पथ पर निरन्तर अग्रसर रहेंगे। गाँधी जी सभी के प्रिय थे क्योंकि उन्होंने प्रेम और अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।

(मौलिक)
डाॅ०विजय लक्ष्मी
काठगोदाम, उत्तराखण्ड

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