पावन बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक-18अक्टु0से24तक
विषय- नारी शक्ति
प्रेष0ता0-19/10/2020
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नारी शक्ति
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त्याग समर्पण व श्रध्दा ,ममता प्यार दुलार ।
ग्रहणी मधुर मधुर महकी,घर आंगनअरू व्दार।
गृहलक्ष्मी शुभ नारि है ,भाग्यवती सुख सार ।।
जन-जन की जननी यही ,समग्र सृष्टि आधार।।
बहू सुता माता बहन ,पत्नि योग्य सत्कार ।
अमन चैन अग जग भरे ,बाढै़ सुख परिवार।।
नारी की महिमा महा ,महक उठे संसार ।
आनंदित जग को करे ,यही धर्म का सार।।
पालन पोषण में सबल ,सच नारी अनमोल ।
नारि बिन भोगे नरक ,संग स्वर्ग बिन तोल।।
सेवा में सिरमौर है ,अरू सर्वोत्तम त्याग ।
बिन नारी विस्तार ना ,जाग सके तो जाग।।
क्षमा दया कृपामयी ,क्यों बेबस है नारि ।
जागरूक हो यत्न से ,इस पर करे विचार।।
कर न्योछावर नारि सब ,करती नर तैयार।
फिर क्यो इउससे छीनते ,जीने का अधिकार।।
जन-जन को सुख बांटती ,ना कर निज परवाह।
बदले में बस पा रही , दुख दर्द और आह।।
भ्रूण हत्या पुत्री की , है दहेज का शाप ।
इससे बढ़कर केअधम ,नहीं जगत में पाप।।
करे सु आदर मान सब ,सत्य धर्म के साथ ।
नारी है नारायणी , तभी बनेगी बात ।।
पावन परम पुनीत है , नित नारी उपकार ।
कहते "बाबूराम कवि " परम पूज्य है नारि।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार)
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