मंच को नमन
सावन
-----------
मन हर्षाता है सावन
कुछ कुछ कहता है सावन
रिमझिम फुहारों के संग
हुआ मगन सखियों के संग
गाए गीत मल्हार सावन
कुछ कुछ कहता है सावन
वह मस्ती में झूला झूले
हर क्यारी गेंदा फूले
कचरघान सुहाय सावन
कुछ कुछ कहता है सावन
शीतल पवन प्रीत जगाए
सुगंध पिया तन मन भाए
लगाए अगन तन सावन
कुछ कुछ कहता है सावन
नभ को छुएं उड़े पतंगे
घन नाचे मोर के संगें
मिलन बिन मानें न सावन
कुछ कुछ कहता है सावन
--------
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
0 टिप्पणियाँ