कवि सुनील दत्त मिश्रा जी द्वारा रचना “साक्षात शिव परमेश्वरा यह शिवजी ही आराध्य है"

साक्षात शिव परमेश्वरा यह शिवजी ही आराध्य है।
शिव शंभू ही है, गगन धरा
शिव शंभू ही सब साध्य है।
ऊंचे गगन पहाड़ पर शिव का निवास विराट है ।
चढ़कर हिमालय  शीश पर शिव सभी के आराध्य है।
आनंद मगन निवास है ,शिव शंभू नंदी गणेश है
गौरा पति महादेव है ,श्री शंभू स्वयं महेश है।
उत्तर से लेकर दक्षिण तक ,हर कहीं शिव का वास है ।
आराधना शिव की करूं, पूरब पश्चिम तलक निवास है ।
मन चाहे शिव के पैर में ,अपना धरु में शीश अब ।
गौरा पति गणेश है नंदी स्वयं आशीष अब।
यह प्रार्थना है शिव धाम तक पहुंचे मेरी मनकामना ।
है आज दिन यह सुखद, मैं कर रहा इस आराधना ।
शिव शम्भू  धरा महेष्वर प्रभु साक्षात शिवा गणेश है ।
स्तुति करू कर जोड़ मैं
अब स्वयं मणिमहेश है


सुनील दत्त मिश्रा फिल्म एक्टर राइटर छत्तीसगढ़ बिलासपुर से सर्वाधिकार सुरक्षित सुनील दत्त मिश्रा की कलम से

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