अबला नहीं मै सबला हूँ
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विधी की अदभुत कृति कला हूँ ।
अबला नहीं मै सबला हूँ ।
सृष्टि की सुचि आधार हूँ मै ।
सुख- शान्ति गुरु व्दार हूँ मै ।
ममता , प्यार , दुलार हूँ मै ।
बच्चों की पालन हार हूँ मै ।
तिल- तिल आदि से गला हूँ ।
अबला नहीं मै सबला हूँ ।।
कहीं फूल कहीं खार हूँ मै ।
दुष्टों के लिए ललकार हूँ मै ।
दहकत शोले अंगार हूँ मै ।
दुर्गा चंण्डी अवतार हूँ मै ।
युग -युग में दुष्टों को दला हूँ ।
अबला नहीं मै सबला हूँ ।।
शर्मो हया श्रृंगार हूँ मै ।
आदर में फूल - हार हूँ मै ।
गृहस्ती की पतवार हूँ मै ।
सोचो पुरा संसार हूँ मै ।
हरगिज दूखों से नहीं टला हूँ ।
अबला नहीं मै सबला हूँ ।
उत्तम से उत्तम दान हूँ मै ।
दो - दो कुलों की शान हूँ मै ।
हर घर की मुस्कान हूँ मै ।
इस सृष्टि की अगुआन हूँ मै ।
समयोचित सच बुरा- भला हूँ ।
अबला नहीं मै सबला हूँ ।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८
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