माँ ममतामयी
द्वार पडे हम शिशु सुत तेरे , माँ ममतामयी आओ ।
आकर दरश दिखाओ।माता । आकर दरश दिखाओ ।।
नहीं शक्ति है हम में कोई , माँ मैं कैसे तुम्हें पा सकता ।
कृपा कृपामयी यदि कर दे तो पंगु शिखर चढ सकता ।।
दूखन लगे दरश बिन नैना , अब तो दया दिखाओ ।................१
आकर .........................................................
प्रथम शैल पुत्री तुम हो माँ , द्वितीय ब्रह्म आचरणी ।
तृतीय चन्द्रघण्टा माँ तुम हो , महिमा वेदों ने वरणी ।।
कुष्माण्डा चौथी देवी माँ , अधिक न अब तरसाओ ।,,,,,,,,,,,,,,,२
आकर .........................................................
पंचम तुम स्कन्द की माता , सब जग की हो महतारी ।
षष्ठम हो कात्यायनी देवी , महिमा अति विस्तारी ।।
सप्तम कालरात्रि माँ मेरी , हमें आकर के समझाओ ।..........३
आकर .......................................................
महागौरी माँ कृपा कर दो , सद् भाव भुवन में भर दो ।
सिद्धि दात्री सब लोगन के , हृदय निर्मल कर दो ।।
मक्खन मन से तुम्हें पुकारे , माँ अब तो तुम आ जाओ ।.............४
आकर ......................................................
मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है ।
राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ प्र
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