ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'जी बदलाव मंच#

नमन बदलाव मंच

 विधा :-नवगीत
पिता की कठोरता

ममता की मूरत होती माता,
फिर पिता क्यों कठोर  बन जाता?

सूरज पूरब से जब आता,
 सारा जग है खिल जाता,
झोंका शीतल बयार का,
नूतनता  जीवन में भर जाता।

ममता की मूरत होती माता,
फिर पिता क्यों कठोर  बन जाता?

जग सारा सूरज को,
 एक आग का गोला बताता ,
 जो भी इसके पास जाता,
 जलकर राख हो जाता।

ममता की मूरत होती माता,
फिर पिता क्यों कठोर  बन जाता?

मानव की जीवन रक्षा को जीवन रक्षा को,
 समय-समय पर है झुलसाता।,
भीषण लू से से  जीवन  को बचाने ,
यह रुद्र रूप रूप  लोकहित अपनाता ।

ममता की मूरत होती माता,
फिर पिता क्यों कठोर  बन जाता?

  कहता है 'ओम'  फर्ज निभाने को,
 पिता सूरज सा बन जाता ,
 व्यसन से बाल बचाने को 
कुछ काल कठोर भी बन जाता।।

ममता की मूरत होती माता,
फिर पिता क्यों कठोर  बन जाता?

रचनाकार:- ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
तिलसहरी कानपुर नगर
उत्तरप्रदेश

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