बदलाव राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय मंच
प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय - पुरुष दिवस
शीर्षक - पिता की आस
दिनांक - 19-11-2020
गरीब पिता गहन चिंतन कर रहा है,
बिटिया की शिक्षा के लिए सोच रहा है l
बिटिया को मुझे है पढ़ाना लिखाना,
शिक्षा की ज्योति को नहीं है मुझे बुझाना l
चाहे क्यों न हो गरीबी मेरे पास,
करना है मुझे अथक प्रयास l
बिटिया पढ़ेगी - लिखेगी,
मेरे नाम इस जग में रोशन करेंगी l
पढ़ेगी- लिखेंगी मेरी बिटिया,
आगे बढ़ेंगी मेरी बिटिया l
मुझे अपना सपना पूरा है करना,
बिटिया को जरूरी है पढ़ाना लिखाना l
सविता मिश्रा, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्वरचित और मौलिक रचना
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