कवि प्रकाश कुमार मधुबनी ‘चन्दन' जी द्वारा रचना #आत्मश्रद्धा

*स्वरचित रचना*
*आत्मश्रद्धा*

आत्मश्रद्धा रखिये आप सबकुछ कर सकते हो।
आप चाहों तो स्वयं परिश्रम के बल पर छलनी में पानी भर सकते हो।।
कौन कहता है आपके बाहुँ बल में दम नही।
 आप चाहों तो क्षण में अपने तप से ईस्वर को प्रकट कर सकते हो।।

सुख दुख से बाहर निकलना है आपको।
दुनिया बदलने से पूर्व स्वयं बदलना है आपको।।
जिंदगी में स्वयं के लिए जीना आसान है।
जिंदगी में औरो के लिए जीना है आपको।।

आना जाना लगा रहता है इसका शोक नही करना।
देखों हारने से पहले अपने शक्ति पर रोक नही करना।।
देखो जिंदगी में उम्रभर ये एहसास रखना।
  मरने से पहले जीने का प्रयास करना है आपको।।

 धर्मजात में फ़ँसकर लक्ष्य से मत भटकना।
निकलने की सोचना स्वयं से ना अटकना।।
प्रण लो आगे बढ़ना है औरो को बढ़ाना है।
अच्छे इंसान होने का फर्ज निभाना है आपको।।

पशु पँछी पेड़ पौधों सा उपकारी बनकर देखो।
अपने लक्ष्य की ओर नजर दोहरा हाँसिल करके देखो।।
जिंदगी है यू तो उलझाना उसका काम है।
जिंदगी के साथ क्या करना है ये सोचना है आपको।।

देश के लिए आप ग़ौरव बनकर उभरना।
स्वयं से राम जैसा दृढ़ संकल्प मन में करना।
चाहोगे तो अवश्य जीतकर दिखा पाओगे।
अभी तो औरो के लिए प्रेरणा बनना है आपको।।
*प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

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