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राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय- बिरसा मुंडा
दिनांक -16 नवंबर 2020
विधा- कविता
शीर्षक - बिरसा मुंडा
आओ हम आज सुनाएं
बिरसा मुंडा की कहानी।
मातृभूमि को कर दी अर्पित
अपनी पूरी जवानी।।
केवल आदिवासी और
दलित पिछड़ो की बात नहीं
केवल जीव जंतु और जंगल
अहित की बात नहीं
जननी के सम्मान हेतु
तन मन धन किया समर्पित
केवल जाति धर्म और
ऊंच-नीच की बात नहीं
आओ हम आज सुनाएं
बिरसा मुंडा की कहानी।
अधिकारों हित कर दी अपनी
अर्पित पूरी जवानी।।
एकलव्य जैसी अडिग साधना
परशुराम सी शक्ति
ऋषियों जैसी निष्पक्ष भावना
मीरा जैसी भक्ति
मानवता को धर्म बनाया
मां को शीश झुकाया
थी नानकदेव जैसी कामना
बौद्ध जैसी विरक्ति
आओ हम आज सुनाएं
बिरसा मुंडा की कहानी।
आजादी हित कर दी अपनी
अर्पित पूरी जवानी।
महामारी दैवीय प्रकोप से
जागरूक किया था
सूदखोर गद्दारों से
अपनों को सजग किया था
उलगुलान के सम्मुख
गोरे के पांव उखड़ रहे थे
अंग्रेजों की जमीदारी
प्रथा का विरोध किया था
आओ हम आज सुनाएं
बिरसा मुंडा की कहानी।
संस्कृति हित कर दी अपनी
अर्पित पूरी जवानी
जल जंगल और ज़मीन का
हमें महत्व समझाया था
कब्जा अस्मिता स्वायत्तता का
अर्थ बतलाया था
प्राकृतिक संसाधनों का
संरक्षण कर्तव्य हमारा
एकता का अखंडता का
नूतन दीप जलाया था
आओ हम आज सुनाएं
बिरसा मुंडा की कहानी।
माणिक भू को कर दी अपनी
अर्पित पूरी जवानी ।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक
( कवि एवं समीक्षक)
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