कवि प्रवीण पंड्या द्वारा 'हे प्रिये' विषय पर रचना

करवाचौथ विशेष    

 हे प्रिये,
 तुम्हारे आने से रंगत बदल दी। 
 तेरे संगत से ये नजारा बदल गया  ।             

  हे प्रिये,
 तुम्हारे मेरे  जीवन में आने से जन्नत बदल दी।  
  तेरे संगत से ये सहारा मिल गया ।                


  हे प्रिये,
 
तू सुख चैन की अंबार हैं ।  
                  

हे प्रिये,
तू किसी के परिवार की ख़ुशी है। 


करवाचौथ,  तो एक बहाना है।             

वास्तव में परिवार का एक तू सहारा है।        

बड़े बूढ़े नाते नाती तेरे ही भावुक है ।      

नारी के रूप में बस तू आवभगत हैं।               



हे प्रिये,

तुम्हारे लिए ही यह खुशियांँ चार चांँद लगाएगी । 

तेरे संगत से इस जीवन में  दीवाली की खुशियांँ चार चांँद सजाएंगी।


 कवि प्रवीण पंड्या बस्सी

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