टिकटी बंधती अम्मा की।
आस भी छूटी सांस भी छूटी,
नब्ज़ टूटती अम्मा की।
जिसपर लेटे अम्मा मेरी,
वो बिस्तर भी तो फेंक दिया।
लौंग उतारी चैन उतारी,
सांस रूठती अम्मा की।
दुखित मन से देख रहा था,
टिकटी बंधती अम्मा की।
कुछ देर रुकी रूठी सासें,
पानी न मांगे मुझसे वो।
रोज़ देख जो मुस्काती थी,
कुछ न कहती अब मुझसे वो।
मिट्टी को मल मल नहलाता,
देह छूटती अम्मा की।
दुखित मन से देख रहा था,
टिकटी बंधती अम्मा की।
कांधों पर उसने बैठाया,
आज उसे कांधा है लगाया।
छोड़ कलाई सारी माया,
ये दिन तूने क्यों दिखलाया।
घासफूस लकड़ी का बिछौना,
चिता भी जलती अम्मा की।
दुखित मन से देख रहा था,
टिकटी बंधती अम्मा की।
हाड़-मांस सब खाक हो गए,
कोमल काया राख हो गई।
क्यों रूठी क्या बात हो गई,
रूठी वो भारी नींद में सो गई।
रोक न पाया मैं भरमाया,
रुकती सासें अम्मा की।
दुखित मन से देख रहा था,
टिकटी बंधती अम्मा की।
अनुराग बाजपेई(प्रेम)
८१२६८२२२०२
0 टिप्पणियाँ