दर्पण क्या करे...
तेरा चेहरा खूबसूरत दर्पण क्या करे
जैसे सहरा खूबसूरत दर्पण क्या करे
सभीकुछ तुम पर वार दिया हमने
तुम ही बताओ अब अर्पण क्या करें
तेरी हर अदा दिल को ख़ुश करती है
ख़ुश होकर समझें तर्पण क्या करें
अब तो तेरा नाम लेकर जीने लगे हैं
दिले-जाँ से अलग समर्पण क्या करें
तन है रूह से अलग नपर्ण' क्या करें (सब दे देना)
तेरा चेहरा खूबसूरत दर्पण क्या करें
स्वरचित मौलिक रचना
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा )
udtasonu2003@gmail.com
0 टिप्पणियाँ