बदलाव मंच,राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय
'पुरुष दिवस '
शीर्षक:' पुरुषों का आस्तित्व '
दुश्मनों के छ्क्के छुड़ाने वाला
हम सब के भार उठाने वाला
पहाड़ की तरह खड़ा रहने वाला
सबकी रक्षा करने वाला
पुरुष जाति है कहलाता।
यदि केंद्र है स्त्री तो परिधि है पुरुष
धरती है स्त्री तो आसमान है पुरुष
दोनो है एक दूसरे के पूरक
नहीं कोई किसी से कम।
फिर भी उसका नहीं है मान
हर क्षेत्र में झंडे गाड़े पुरुषों ने,
नर से नारायण की यात्रा भी
आत्मसात करके दिखाया हमे॥
लेकिन दंभ ने उसे हरा दिया,
अंहकारी पुरुष ने सबकुछ किया,
किंतु अधुरा ही रह गया और
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