कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "जी द्वारा विषय' एकता'पर खूबसूरत रचना#

बदलाव मंच अंतराष्ट्रीय राष्ट्रीय 
साप्ताहिक लघुकथा प्रतियोगिता 
नमन मंच 

विषय -एकता भाईचारा देशप्रेम 
शीर्षक - याद 

21साल की उम्र मे मेरी एक सरकारी नौकरी मिल गयी| वो ट्रेनिंग के दिन थे |घर से 50 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था |10 रोज ही हुए थे कि लगा एक पिता की उम्र के चाचा रोज मुझे आँखों से नोंचते थे |बहुत बुरा लगता था पर अकेले होने के कारण हिम्मत नहीं जुट पाती थी कि क्या करें? 

           अगले दिन एक सर मिले, उन्होंने खुद मुझसे नमस्ते किया |कुछ पल बाद याद आया कि उन्होंने एक बार मुझे स्कूल मे मेरे अव्वल आने का सम्मान पत्र दिया था |

मन मे ख़ुशी हुयी और वो घूरने वाले अंकल भी नहीं दिखे तो ख़ुशी और थी 
|कंडक्टर ने मेरा टिकट काटने से मना कर दिया कि आपका टिकट अगली सीट वाले अंकल ने कटवा लिया 
तभी देखा ये तो वही अंकल है |

पर आज हम अकेले नहीं थे वो सर साथ मे थे |फिर क्या डटकर अंकल को डाँटा साथ मे सभी ने बुरा भला कहा|
सच मे एकता मे शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक ताकत भी कई गुना बढ़ जाती है 


कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
उत्तरप्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ