कवयित्री चंचल हरेन्द्र वशिष्ट जी द्वारा प्यारी रचना

बदलाव मंच,राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय
'पुरुष दिवस विशेष रचना'
आज पुरुष दिवस पर पुरुषों को समर्पित भाव :

शीर्षक:' पुरुषों का पुरुष होना है ख़ास '

सभी पुरुष एक जैसे नहीं होते
पुरुषों में भी मगर दिल हैं होते
ऊपर से सख्त,पर भीतर से नरम
पुरुषों के अनेक स्वरूप हैं होते।
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अश्कों को आँखों की कोर में ही रोक लेते हैं,
मौन ओढ़कर नाज़ुक जज़्बात छुपा लेते हैं,
'मर्द को दर्द नहीं होता' उक्ति सच साबित करने को
पुरुष हर दर्द को सीने में ही छुपा लेते हैं।
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अपनों को हँसाने के लिए ग़म चुपचाप पी लेते हैं,
न हो तकलीफ़ किसी को हर तकलीफ़ सह लेते हैं,
कुछ भी हो माथे पर शिकन नहीं लाते,
ठोकर ख़ुद खाकर भी औरों को सँभाल लेते हैं।
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सभी पुरुष जो,पिता,भाई,पुत्र,पति, मित्र और साथी हैं
चंचल हरेन्द्र वशिष्ट
19/11/2020

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