बदलाव मंच हेतु साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय- दीपावली
राम तत्व है केवल नाम नहीं।
आदर्श है उच्च धरातल का।।
कोई पल-पल परिवर्तित भयाधार नहीं।
बसा कण-कण में आत्म वह अच्युत।।
शाश्वत है सत्ता ,कोई नश्वर अवतार नहीं।
हृदयंगम है कब से वह तो।
जीव ही रहता अनभिज्ञ ।।
न रखता पवित्र स्वयं को होता हर बार यही।
राम- सा शील हो गर जीव में ।
मुक्त होता जीव हाँ सत्य होता सार्थक हर बार यही ।।
राम तत्व है केवल नाम नहीं।
आदर्श है उच्च धरातल का।।
कोई पल-पल परिवर्तित भयाधार नहीं।
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