कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना ‘घिनौना प्रदूषण’

घिनौना प्रदूषण 
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अपना स्वतन्त्र देश बना ,
सपनों का भारत।
देश का बना था अपना,
लिखित संविधान।
अपने इंसानी हक की, 
लड़ाई का लिखा था।
बाबा साहेब अंबेडकर ने,
नया अपना प्रावधान।
अनुच्छेद 15 के मौलिक अधिकारों से,
सजाकर बनाया था अपना,
भारत देश महान ।
भेद-भाव का दंश मिटाकर ,
लिखा था जाति-धर्म समान।
बाल-श्रम और बाल शोषण,
 घिनौने अपराध की पहचान।
लिंग-भेद मिटाकर करना,
हर नारी का सम्मान।
बाल-मजदूरी बाल -विवाह,
के खिलाफ बना था कानून।
एक बड़ा अपराध का प्रमाण,
छुआछूत और दलितों का शोषण।
समता का अधिकार,
समान अधिकार मजदूरी समान,
इंसानियत को बनाया मूलधर्म ,
बना था नया हिंदुस्तान।
शिक्षा का अधिकार समान,
करना न किसी का अपमान,
सारे भारत के इन्सान,
नजरो में देश के एक समान।
फिर भी क्यों फैला देश मे?
घिनौना प्रदूषण बाल-शोषण।
शिक्षा के बजाए बाल मजदूरी,
मालिको द्वारा सहते घिनौने शोषण।
मानव-तस्करी और बलात्कार,
शासन और प्रशासन देखती मौन।
इन जघन्य अपराधों का बढ़ता ग्राफ,
अपराधों की कड़ी सजा देगा कौन?
नाबालिग बच्चियाँ घरेलू नौकरानी,
दिनोदिन बढ़ते ये घिनौने प्रदूषण।
बड़े अधिकारियों के घर मे होते,
श्रमिक नाबालिग बच्चियों के शोषण।
कोई नेता तो कोई अभिनेता सबके घर,
फैला ये घिनौना प्रदूषण।
बाबा साहब के सपनो का भारत,
का हो रहा अपमान।
व्यर्थ गया अपने देश के शहीदों का,
जिसने अपने देश के लिए दिए प्राण।
अब ये कहना बेमानी लगता,
की अपना भारत देश महान।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
रचनाकारा:-शशिलता पाण्डेय
बलिया(उतर प्रदेश)
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