रजनी वर्मा जी द्वारा खूबसूरत रचना#एकता#

**नमन मंच**

**राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक लघुकथा प्रतियोगिता**
**विषय - एकता,भाईचारा, देश प्रेम **विधा-लघु कथा**

               **भाईचारा**
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राम का परिवार आज थोड़ा डरा हुआ था, पास वाले घर में मुसलमान परिवार डॉ.अली रहने आ गए थे, वह सोचने लगे कि संभल कर रहना पड़ेगा,वह डॉक्टर. है पर है तो मुसलमान और सावधानी से रहना पड़ेगा। आते जाते उनका सामना अली साहब के परिवार से हो जाता था, उच्च शिक्षित परिवार दिख रहा था, पर सावधानी जरूरी थी। कभी-कभी वह मुस्कुरा देते थे परंतु राम मन ही मन में डरा हुआ था,दंगे फसाद को वह पहले भी देख चुका था, ऐसे समय शिक्षा भी साथ छोड़ देती है। दीपावली आ रही थी, वह अपने काम और तैयारी में लग गए, और अपने में रहने लगे।

एक दिन सुबह 9:00 बजे दरवाजे की घंटी बजी,राम ने दरवाजा खोला तो सामने अली साहब का परिवार खड़ा था, वह कुछ कहता इसके पहले वह लोग बोले कि क्या हम अंदर आ सकते हैं 
और मिठाई का डब्बा राम के हाथों में दे दिया। राम असमंजस में पड़ा देख रहा था अंदर बुलाया -
"हां हां आइए और यह क्या?
डिब्बे को इशारा करके बोला।
"अरे राम जी यह दीपावली की मिठाई है और आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं"
"जी बहुत-बहुत शुक्रिया"
"हमने सोचा कि त्यौहार में शामिल होकर हम भी अच्छे दोस्त बन जाएं। आपके संकोच और डर को कई दिनों से महसूस कर रहे थे, पर इसमें हमारी क्या गलती है हम सभी इंसान ही हैं और यह जात पात बनाने वाले भी इंसान ही होते हैं, आप हमें पराया ना समझे, हम आपकी खुशी में शामिल होने आए हैं। 
राम निरुत्तर हो गया और गले मिलकर **भाईचारे** को निभाया।

**रजनी वर्मा**
  **भोपाल**

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