सुखमिला अग्रवाल जी द्वारा सुंदर रचना

सुप्रभात 
दिनांक18/11/2020
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खुशी मिलती नहीं हाट,
ना ही जहाँ हो ठाठ बाट,
खुशी को कहाँ तलाशता है,
पहले पढो ये अनमोल पाठ।

यह तो है अपने घट माहीं,
नहीं है महल दुमहल गाडी,
आओ देखो फुटपाथ पर ,
खुशियाँ खुद बलिहार जाती। 

आज खाना मिला कहीं से,
खुशी बालक की छलक पडे,
कपडा मिला पहनकर कैसा,
देखो वो निश्छल मुस्काये।
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सुखमिला अग्रवाल
 स्वरचित मौलिक 
सर्व अधिकार सुरक्षित्

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