कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना ‘छठपर्व’

छठपर्व
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महिलाओं का कठिन व्रत पर्व छठ
सभी वर्गों के लोग एकसाथ मनाते,
हिंदुस्तान का एकमात्र पर्व सूर्यषष्ठी।
छठपूजा जो होता लगभग चार दिन,
भैयादूज के अगले दिन से पर्व छठ।
गेंहू धोना प्रसाद के लिए बीन-चुनकर,
चक्की में खुद से पिसा जाता गेंहू धोकर।
नहाय-खाय पूरे घर की साफ-सफाई,
दिनभर उपवास खरना व्रत महिलाएं करती ।
शाम को पूजाकर खीर-रोटी खाती,
फिर अगले दिनभर निर्जला रहकर।
नदी-तालाब या जलाशय में पूजा होती,
बनाती ठेकुआ भोग शाम को देती अर्ध्य।
अगले दिन उगते सूरज को देकर अर्ध्य,
फिर व्रत का होता धूमधाम से समापन।
ये पावन छठपर्व बिहार में विशेष मनाते,
कुछ लोग सासाराम के देव में छठ मनाते।
लोग मन्नत माँगते और देव छठकर पूरी करते,
सूर्यदेव और बहन छठी मईया कहलाती।
दोनों को एक साथ पूजन कर अर्ध्य दिया जाता,
इसी लिए यह व्रत पावन और पवित्र कहलाता।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय
 बलिया (उत्तर प्रदेश)

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