जब ज़िन्दगी ही परेशानं करे
तो क्या बेचारा इंसान करे
रिस्तो ने ही लूट मचाई हो
अपने ही अपना नुकसान करे
जब भाई-भाई का गला काटे
फिर क्या इसमें भगवान करे
जब ज़िन्दगी हो रूठी-रूठी
फिर मौत ही मुस्कान करे
ज़मी वाले हो दिल के दुश्मन
फिर उसमे क्या आसमान करे
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