कवयित्री मीनू मीना सिन्हा मीनल जी द्वारा रचना ‘झारखंड की सुनो कहानी’

गोवर्द्धन पूजा और झारखंड राज्य की स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

 ३२ -३२ मात्राओ में तुकांत  द्विपद चौपाई छंद में

*झारखंड की सुनो कहानी*

झारखंड की सुनो कहानी 
   सुना रही हूंँ मैं आज तुम्हें 
एक कठिन रास्ते पर चलकर
  निज प्यारा मिला प्रदेश उन्हें

दो हजार बीस के साल में 
 पंद्रह नवंबर दिनांक था 
चलते -चलते जुझते- जूझते
 पाया सबने यह क्रमांक था 

भारत के नक्शे पर देखो
 सुसज्जित हो सजधज रहा है 
लेकिन यह मत भूलना कभी
  बिगुल समर का गूँज रहा है 

झाड़ों, वनस्पतियों जंगलों 
 यह झारखंड संपन्न रहा 
जंगलों को है माँ मानते
  अपनी माटी के लिए सहा

हरी-भरी पहाड़ियांँ यहांँ
 भरपूर प्राकृतिक सुंदरता
क्रीड़ा करते झरने बहते
 सभी दिशाएँ नूर फैलता

घूमो तुम पहाड़ी घाटियांँ
  वादियांँ  हैं बाहें पसारे 
दुर्लभ पशु-पक्षी का डेरा
 नर्तन करते सुबह -सकारे

मैगनीज ,बॉक्साइट ,तांबा 
 इल्मेनाइट ,लोहा ,सोना
मत पूछो खनिज संपदा की
 निर्भर फिर भी पत्तल-दोना

अक्षय भंडार कोयला का
  है ग्रेनाइट भरपूर यहांँ
भारत क्या,विश्व में अग्रणी
 परंतु विकास जहांँ का तहांँ

नृत्य गीत-संगीत  प्राण है
 ढोल-ढाक -ढप,मांदर -तासा
है उत्सवों की धूम रहती 
 चलता रहता बारहमासा 

भोले-भाले सीधे -सच्चे 
 आदिवासी और संथाली
बोले कुरुख पंचपरगनिया
 उराँव, संथाली ,कुरमाली

सरहुल ,जितिया ,मंडा पूजा 
 इंद्र परब ,जनी शिकार है  
 फगुआ ,कर्मा औ' सोहराय 
 तीर -धनुष  सभी हथियार है

यह कहावत बहुत प्रसिद्ध है 
 गरीबों का है नहीं नसीब
भारत एक अमीर देश है
 किंतु है जनता  यहांँ गरीब  

है बिल्कुल चरितार्थ यहांँ भी
 असली खुशियांँ अभी दूर हैं आतंकवादी जड़ जमाए 
 प्रगति की राहें  मजबूर हैं

पाहन- पूजा धरती -आबा 
 फुलखुंदी और मेहमानी 
जय  जोहार करें हम सारे
 मत करो  कोई बेइमानी।।

*मीनू मीना सिन्हा मीनल*
 राँची

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