निर्मल जैन 'नीर'जी द्वारा बेहतरीन रचना#

बेजुबान पशु...
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आज मानव~
जानें क्यों बन गया
यारों दानव
पाई प्रभुता~
भूलता सम्वेदना
आई पशुता
लादता बोझ~
बेजुबान पशु पे
आदमी रोज
कैसी शूरता~
लाचार पशुओं पे
होती क्रूरता
होता उदास~
मनुष्य को देखता
हिंसा का दास
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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