कवि स्वप्निल जैन जी द्वारा रचना

*बदलाव मंच को सादर सविनय नमन*

*राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता*

दिनांक:- 15-11-2020
विषय:- बाल दिवस
विधा :- कविता
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नभ आकाश के नन्हे तारे
धरती पर खूब सुहाते हैं।
गली-गली और घर-घर में
बच्चे बन कर वे झिल मिलाते हैं।

नन्हे-नन्हे , कोमल-कोमल
कदम किलकारियां गाते हैं।
मीठी-मीठी बोली उनकी
वे सबको बहुत लुभाते हैं।

पल में रोना, पल में हंसना
सबके मन को भा जाता।
मन का चंचल होना उनका
ईश्वर का भान करा जाता।

फूलों की बगियाँ सा सुंदर
हो जाता घर का आँगन।
बच्चों की ग्रह लीलाओं से
घर हो जाता कृष्णा का वृंदावन।

बच्चों की खुशियों का ध्यान रखा
एक दिन उनके भी नाम रखा
बाल दिवस के माध्यम से
नन्हें बच्चों का भी सम्मान रखा।

चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर
ये दिवस मनाया जाता है।
प्यारे-प्यारे बच्चों से इस दिन
प्यार जताया जाता है।
प्यार जताया जाता है।

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नाम :- स्वप्निल जैन (छिन्दवाड़ा)
स्वरचित व मौलिक रचना।

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