कवयित्री मीनू मीना सिन्हा मीनल विज्ञ जी द्वारा रचना “दीये से सूरज”

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' 
साप्ताहिक प्रतियोगिता
 दिनांक 12 .11.  20
 विषय- दीपोत्सव 
  विधा -पद्य

*दीये से सूरज* 

अंँधेरा बहुत घना है, दीया कहांँ-कहांँ जलाऊंँ मैं ?
 इधर या उधर ,किधर- किधर सजाऊंँ मैं ?

बस कुछ देर सही, दीये का दम उखड़ने के लिए 
फिर वही अंँधियारा ,सब
   ओर फैलने के लिए 

अंँधेरे के साम्राज्य पर होती नहीं विजय मेरी 
 बंद कर लूँ सारी दुनिया खोल कर मुट्ठी तेरी।

 पतझड़ में बसंत की खुशबू
   लिए 
 बूंद की जगह सागर बन
   जाऊंँ मैं

 चलो, इस बार दीये की जगह सूरज बन जाऊंँ मैं
न इधर न उधर, हर ओर फैल जाऊंँ मैं

मौलिक व स्वरचित


मीनू मीना सिन्हा मीनल विज्ञ/मीनू मीनल
राँची, झारखंड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ