04.11.2020
बदलाव राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच
शीर्षक :- करवाचौथ का त्योहार
: प्रिया सोचती चाँद ,
चौथ का कब खिल जाये ,
शुष्क अधर रस सिक्त बनें,
चाँद चाँद पा जाये ।1।
अनुगामी बन साथ चलूँ,
सुख दुःख में भागीदारी ।
स्वस्थ,मस्त ,चैतन्य रहें,
अनुपल प्रिय उपकारी ।2।
नहीं द्वेष हो अन्तर्मन में,
संग संग नेह लुटाऊॅ ,
सोम तत्व निशिपति से पाकर,
अक्षितिज व्योम मुस्काऊँ।3।
अधरों की यह सहज लालिमा,
सुधा ज्ञान बरसाये ,
जन जन हित हों कर्म हमारे,
जीवन सुरभि लुटाये ।4।
:
करवा चौथ करे जो नारी,
जीवन सौभाग्य अटल हो।
स्नेह,दया,ममता की मूरत,
दिव्य ज्योति अनुपल हो ।5।
गीता पाण्डेय
0 टिप्पणियाँ