अशोक शर्मा वशिष्ठ जी द्वारा खूबसूरत रचना#

आज नवम गुरु तेग बहादुर महाराज का शहीदी दिवस है आज के ही दिन गुरु जी ने अपना शीश कटवा कर धार्मिक मूल्यों की स्थापना की थी
          गुरु तेग बहादुर

    हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर
देश हित मे हुए कुर्बान और न्योछावर
गजब के वीर और योद्धा थे बहादुर
अपने सत्कर्मों से अर्जित किया सम्मान और आदर

    गुरु हरगोविंद की पांचवीं संतान
गुरु की नगरी अमृतसर उनका जन्मस्थान
त्याग मल था बचपन का नाम
वीरता के कारण मिला तेग बहादुर का नाम

      मुगलों से लड़ी भीषण लड़ाई
गजब की बहादुरी उन्होंने थी दिखलाई
मुगलों को थी धूल चटाई
अपने राष्ट्र की लाज बचाई

     रक्तपात से मन हुआ उचाट
खोल दिए धर्म के कपाट

     बीस सालों तक बाबा बकाला मे की साधना
हरी नाम की करी उपासना
विश्व कल्याण की करी कामना
सच्चे हृदय से की याचना

       गुरु जी ने किया धर्म प्रचार
पूरे विश्व मे किया मानवता का प्रसार

     हरिकृष्ण राय की अकाल मृत्यु के बाद नौंवे गुरु का पदभार संभाला
भारत की बने ढाल और हिम्मतवाला

    कश्मीरी पंडितों ने गुरु जी को अपना दुखड़ा बताया
जबरन ईस्लाम कबूल करने का फरमान सुनाया
पंडितों को बचाने का बीड़ा उठाया
मुगल बादशाह ओरंगजेब से जा टकराया

    ओरंगजेब के हर प्रलोभन को ठुकराया
ज़ालिम  बादशाह का जुल्मोसितम उन्हें डिगा न पाया
अपने शीश का बलिदान देकर महान बलिदानी कहलाया

  आज जिस कश्मीर का राग अलापता है पाकिस्तान
भूल गया क्या गुरु जी का  सर्वोच्च बलिदान
इस कश्मीर को बचाया गुरु जी ने देकर अपनी जान
अपनी अनमोल कुर्बानी से गुरु जी का महान स्थान

   गुरु जी ने मानवता हेतु किया ऊंचा काम
ऐसी पुण्यात्मा को शत शत नमन और प्रणाम

         अशोक शर्मा वशिष्ठ

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