गीता पाण्डेय जी द्वारा खूबसूरत रचना#

शीर्षक:--  मातृभूमि
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मातृभूमि का वन्दन कर लूं,
कण-कण माटी चन्दन कर लूँ।टेक।

दिया सुखद परिवेश किया है ,
हम पर यह उपकार,
शस्यश्यामला धरती ऋतुएँ,
करतीं नवल श्रृंगार ।
गॉंव-गली-पगडंडी मनहर,
मलय बुहारे द्वार ।
रत्नों के भण्डार असीमित,
कृषि जीवन आधार ।
देश प्रेम के गीत सुनाती,
अधरों का अभिनन्दन कर लूँ ।
मातृभूमि का वन्दन कर लूं,
कण-कण माटी चन्दन कर लूँ ।1।

पुरुषार्थ जगे जीवन के जब,
पावन मातृभूमि मिल पाई,
वीर भोग्या वसुंधरा की ,
 राष्ट्र-प्रेम -कलिका खिल पाई ।
नव विकास की लिए तूलिका,
जन जन नव उल्लास भरे-
पुण्य भूमि यह जल,अम्बर में,
यशोगान नूतन लिख पाई ।
 भेदभाव को त्याग चलें हम,
उर उपवन प्रिय नन्दन कर लूँ ।
मातृभूमि का वन्दन कर लूं ,
कण-कण माटी चन्दन कर लूँ ।।

गीता पाण्डेय
(उप प्रधानाचार्या)
करहिया बाजार,
रायबरेली (उ0प्र0)

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