कवि डॉ मलकप्पा अलियास महेश द्वारा 'किसान' विषय पर रचना

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच 
विषय :- किसान 

कविता :- मृण से प्यार 

मृण से प्यार करता हूँ 
अविराम काम करता हूँ 
सूर्य शशि सदृश |

रीढ़ की हड्डी हूँ 
इस देश का अन्नदाता भी |

शोणित स्वेद एक 
कर मशक्कत दिन रात 
एक कर आह्लाद रखना 
चाहता हूँ सब को |

मुझ पर निर्भर करते 
अर्थव्यवस्था देश के एक 
दिन भी अनुपस्थित नही 
रहता अपने कर्त्तव्य निभाने में |

कर्ज कर फर्ज 
निभाने मुश्किल नहीं, 
फिक्र करता हूँ अपने देश 
परिवार का |

कभी नहीं सोचा 
अपना फ़ायदा फसल 
में मान रखा कृषि उत्पादन 
बढ़ाने |

हर मौसम में खेतों 
की देखरेख कर निभाते 
अपने कर्त्तव्य |

करते मुझ पर राजनीति 
उमंगों का  सपना दिखाते 
हाल बेहाल की चिंता नहीं करते |

कभी अनावृष्टि कभी 
अतिवृष्टि में झेल कभी 
कीट के प्रहार से ना हार 
मानुंगा समा जाऊंगा मिट्टी  
बन कर |

आज करते हैं मेरी 
लाश पर देश निदेश चर्चा |


डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ