मंच को नमन
विधा - दोहा
विषय - चाॅऺद
प्रिय लगता है नयन को ,
भाई कोमल शाद ।
गौरी के सम्मुख हुआ,
माणिक लज्जित चाॅऺद।।
देख चाॅऺद सा रूप प्रिय,
बंधु हिय हर्षाएं।
देख गुलाबी पंखुरी ,
भंवरे मुस्काएं।।
चाॅऺद चाॅऺद को देखकर,
चुगली करता चाॅऺद।
मौन हुआ सारा जगत,
सुनकर के संवाद।।
चाॅऺद चाॅऺद से कर रहा,
सुंदरता की बात।
माणिक साॅऺची तुम कहो,
कैसी कटती रात।।
करे चांदनी चाॅऺद से,
मनमाना परिहास।
लगे सितारे चमकने,
मन में भर उल्लास।।
मौलिक दोहे
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
0 टिप्पणियाँ