रूपक जी द्वारा अद्वितीय रचना

कौन सा रिश्ता है ,तुमसे पता नहीं
कौन हो तुम ये भी मैं जनता नहीं

तुम्हारे मुस्कान से ही मेरा मुस्कान है
तुमसे क्या रिश्ता है ये भी जानता नहीं

जिस पल ना देखूं  दिल बैचेन रहता है
क्यों तुम्हे देखे बिना दिल मानता नहीं

चोट तुम्हे लगती है दर्द मुझको होता है
ऐसा क्यों होता है कुछ भी जनता नहीं

एक भी आंसू बहे अगर तुम्ही आंखों से
मेरे आंखों से भी बहता है ये रुकता नहीं

तुम हमेशा ही खुश रहो बस यही दुआ में 
खुदा से अपने लिए और कुछ मांगता नहीं

तुम मेरे नजरों के सामने से दूर ना हो जाओ
पता नहीं कोई और इस दिल को जचता नहीं

 दुनिया में चाहे कोई लाख अच्छा  हो जाए
रूपक दुनिया में किसी और को मानता नहीं
©रूपक

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