आरती तिवारी सनत जी द्वारा अद्वितीय रचना#

मंच नमन
*विषय -छठ मैया*
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कार्तिक माह की शुक्ल सूर्य षष्ठी व्रत..
चार दिन का होता त्योहार..
घर आंगन द्वार गोबर से लीपा जाता है
स्वच्छता पवित्रा चारों ओर होती ..
दीपों से जगमगाया आंगन रोशनी चारों ओर होती...
पहले दिन  नहाए खाए लौकी चने की दाल चावल का भोग लगाएं
केले के शुद्ध पत्ते पर विष्णु जी को भोग लगाएं..
सुहागिनी सिंदूर चूड़ी बिछिया पायल 
नव श्रृंगार करती...
दूसरे दिन  भर व्रत रहते शाम को गुड़ चावल की खीर रसिया रोटी बनती...
लगाया जाता देव को भोग...
सकल परिवार गांव में प्रसाद वितरण..
तीसरे तीन छठ मैया का निर्जला व्रत...
पवित्र नदियों गंगा यमुना के घाट पर मेला लगता...
हरे बांस की दौरी सूप ठेकुआ का प्रसाद बनता...
सूप में ठेकुआ  नींबू गन्ना मूली शरीफा केला सिंघाड़ा सुथनी अदरक हल्दी..
पान सुपारी पीला सिंदूर सुहाग  नाक  से माथे तक लगा कर  व्रती अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देतीं है...
घाट पर बहुत भीड़ भारी लगती..
नर नारी बालक सब श्रद्धा से सूर्य षष्ठी व्रत की पूजा करते..
मांगते मंगल शुभ आशीष सुख समृद्धि और सौभाग्य..
चौथे दिन भोर से ही परिवर्तनी जल में
खड़े होकर उगते सूर्य का स्वागत करतीं..
दूध जल  पुष्प माला पल्लव से अरग देवें मांगते सुख ‌की कामना..
छठी मैया की जय जयकार से घाट
गुंजायमान होता प्रकृति का अद्भुत नजारा...
 प्रकृति का संरक्षण प्रकृति की पूजा..
छठ मैया का यह संदेश छुपा है...
भाई चारे और संयुक्त परिवार का रूप है छठ मैया की पूजा...
सभी को अपनी संस्कार संस्कृति से जोड़ता..
भारत की यह परंपरा निराली...
नदी तालाब पोखर धरती  फूल प्रकृति 
अपने जीवन में अपनाओ प्रकृति का महत्व बतलाती छठ मैया की पूजा...
छठ मैया से आशीष मांगे सुख समृद्धि रहें खुशहाल परिवार हमारा...!!!



आरती तिवारी सनत
©® दिल्ली

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