डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा खूबसूरत रचना#

सादर समीक्षार्थ
 हर चित्र कुछ बोलता है
 चित्र आधारित रचना-

 शतरंज की बिसात पर अब तो 
गोटियाँ भी आती नहीं  नजर
लगता  जैसे   रूठ   गए   हैं
शतरंज से भी, सभी हमसफर..।।

कोरोना का तो भय बड़ा है
सबके मन को ही डस रहा है
सोचा चलो आज मैं अपना
मन शतरंज से ही बहलाऊँ..।।

पैन रख शतरंज, पर अपना
मन ही मन, मन को भरमाऊँ
न कोई हाथी, घोड़ा, पैदल 
न राजा, वजीर, ऊँट ही होगा..।।

आओ मन ही मन, हम सब खेलें
शतरंज की ये, अद्भुत चालें
कोरोना  को,  मार  भगा  दें
जगमग होंगी, सतरंगी चालें..।।


 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ