प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन" जी द्वारा खूबसूरत रचना#

*स्वरचित रचना*

*बदलाव मंच*
धर्म जात के नाम पर बटता ये इंसान।
पशु-पक्षी देख देख रोते कुपित होता है भगवान।।

कितने बावले कितने उतावले खुश होते ख़ुदको बाँटकर।
हिन्दू मुस्लिम अमीर गरीब में ख़ुदको ऐसे छाँटकर।।
मैं मैं करके एकता मिटाते, ख़तरे में है हिंदुस्तान।।

प्रेम भाईचारे का नहीं ठीकाना किसको अब कौन समझाए।
आप आप का बनता दुश्मन, कौन किसको साहस बढ़ाए।।
आओ मिलकर पहले अपनाए सबसे बड़ा धर्म इंसान।।

सात धर्मो का अपना देश मिलकर सतरंगी बनते है।
राम कृष्ण बुध की धरा पे आओ एकजुटता दिखालाए।
इतना जो कर सके तो बन जायेंगे हम महान।।

प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"

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