शशिलता पाण्डेय जी द्वारा बेहतरीन रचना#

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जलेबी
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 जलेबी हम भारतीयों की राष्ट्रीय मिठाई,
 रिश्तों के ताने-बाने सी उलझी  टेढ़ी-मेढ़ी।
गोल-मटोल रसभरी मन को करें डांवाडोल,
देख सामने जलेबी लालच की खोले पोल।
जीवन मे भरती मिठास ये सबके मनभाई,
सुस्वादु मिठाई गोल-गोल जलेबी रसभरी।
विश्वप्रसिद्ध मिठाई प्राचीन भारत की धरोहर,
भोजन के बाद भी खाई जाती चारो पहर।
अद्भुत स्वाद अनूठा देखकर मुँह में पानी आये,
एकबार खाये बार-बार खाने को जी ललचाये।
जीवन-दर्शन को सही माने में करती प्रस्तुत,
टेढ़े-मेढ़े जीवन को मीठे रस भर करें आनंदित।
ये सस्ती भरपूर स्वाद से भरी अनमोल मिठाई,
धनवान ही नही निर्धन के भी बजट में समाई।
देश-विदेश की चर्चा में शामिल मशहूर मिठाई,
उलझे-उलझे रिश्तों सी उलझी रस लिपटाई।
लाल-लाल देखकर जलेबी जी सबका ललचाये,
पूजा-पाठ दान-पुण्य में ये जलेबी बांटी भी जायें।
मास कार्तिक नियमित नहाकर करते पूजा अर्चन,
अक्षयनवमी ब्राह्मण को भोजन संग जलेबी अर्पण।
सुलभ और स्वादिष्ट गली नुक्कड़ पर छनती जलेबी,
गर्मा-गर्म दोने में बच्चे,बूढ़े खाते औरअजनबी।
कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान के बाद जलेबी दान,
उत्तर-भारत की परंपरा में हर अवसर की जान।
हर आयोजन बिन जलेबी के लगती फीकी अधूरी,
भोजन पश्चात जलेबी खाकर होती मन की इक्छा पूरी।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)

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