कवि चन्द्र प्रकाश गुप्त 'चन्द्र' द्वारा 'आत्म निर्भर भारत' विषय पर रचना

शीर्षक - आत्म निर्भर भारत

सत्य सनातन संस्कृति मेरी, माटी का कण-कण है प्राण मेरे.....

तन-मन-धन सब कुछ न्यौछावर,जब जब राष्ट्र पुकारे...

भारत ने विज्ञान तकनीक को सम्यक सृजन हेतु अपनाया

अनवरत कर्तव्य कर्म से जिसे सफल और श्रेष्ठ बनाया

सूचना एवं प्रौद्योगिकी तकनीक में जग में नाम कमाया

सम सामयिक प्रक्षेपास्त्र बना कर दुनियां को चौंकाया

वैज्ञानिकों ने नूतन अभिनव तकनीक से देश को सबल बनाया

अब हमें प्रखर प्रचंड पराक्रम की अनुपम अलौकिक शक्ति बनाया

धरा गगन भू-तल को चीरा,हर क्षेत्र में भारत का सम्मान बढ़ाया

भारत को आत्म निर्भर बना कर , शिखर पर उसे चढ़ाया

भारत अब युद्ध स्तर पर पूर्ण आत्म निर्भर होने अग्रसर है

विश्वासों का अटल आत्म बल है,मनुजता के कल्याण हेतु सदा तत्पर है

सत्य सनातन संस्कृति मेरी, माटी का कण-कण है प्राण मेरे...

तन-मन-धन सब कुछ न्यौछावर जब जब राष्ट्र पुकारे

         जय भारत 

        चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
        अहमदाबाद , गुजरात

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मैं चंद्र प्रकाश गुप्त चंद्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है
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