गीता पांडे जी द्वारा अद्वितीय रचना#

शीर्षक भूख
भूख तेरी दुनिया अजब,
तरह-तरह की भूख है गजब।

कहीं भूख से व्याकुल हैं बच्चे,
पेट भरने को तरसते लोग सच्चे।

कहीं धन की भूख दिखती है,
 कहीं हवस की भूख मिलती है।

किसी को बेटा बेटी की भूख,
 कोई बिरह वेदना में रहा सूख।

इस संसार में भूख नहीं मिटती है,
एक पूरी होते ही दूसरी बढ़ती है।

तब तक भूख शांत नहीं होगी,
 जब तक मनुष्य रहेगा भोगी।

प्रभु के चरणों में नेह लगावो,
 जीवन अपना सफल बनाओ।

 स्वरचित व मौलिक
 गीता पांडे रायबरेली उत्तर प्रदेश

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