*अन्नदाता की व्यथा*
किसानों की व्यथा
कोई न जाने
राजनीति के चक्रव्यूह को
कोई न पहचाने
सत्ताधीशो के
नाक में आ गया दम
संकट आया उन पर घोर
बात बिगडते देख
मचाया उन्होंने
अफवाहों का शोर
किसान ने छोड़ दिया
अपने तीर से कमान
बचाने लगे स्वयं को
धरा के स्वयंघोषित भगवान
आर पार की लड़ाई करेंगी
सही या गलत का आकलन
किसानों के इस आंदोलन से
विचलित हो गया सिंहासन
सोशल मीडिया के जरिये
स्वयं के ही यूनिवर्सिटी से
बनाये गए संदेशों से नेतागण
बता रहे स्वयं को बेकसूर
पढ़कर, सुनकर
जनता जनार्दन
हो रही भ्रमीत
हकीकत से आम जनता कोसो दूर
सत्तापक्ष एंव आंदोलनकारी
दे रहे अपने तर्क वितर्क
वक्त ही बतायेंगा
क्या है
परदे के पिछे का सच अब
सतीश लाखोटिया
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