*राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बदलाव मंच को नमन*
*सप्ताहिक प्रतियोगिता 1 से 7 दिसंबर*
* विषय --किसान
शीर्षक --मैं किसान
विधा- कविता
मैं भारत की शान हूं,
मैं भारतीय किसान हूं
राजनीति मुझे बदनाम कर रही
मेरे दम पर चाल चल रही
किंतु
मेरी धरा भक्ति के आगे
वह खुद ही बदहाल हो रही,
भारत मां की शक्ति सहेजें
मैं आर्यव्रत का अभिमान हूं,
मैं भारत की शान हूं
मैं भारतीय किसान हूं
मैं नींद ना पूरी कर पाया
ना परिवार का सुख पाया
अपने श्रम की बूंदों से
मिट्टी को सोंधा महकाया
मैं ही भूखों की झोली का
अन्नकूट भंडार हूं,
मैं भारत की शान हूं,
मैं भारतीय किसान हूं,
अरे,
राजनीति तूने तो बस
झूठे ख्वाब दिखाए हैं
और अपना बदन गला कर हमने,
जग को आहार दिलाएं हैं,
70% टूटे दिल की,
मैं ज्वलंत प्रमाण हूं, मैं भारत की शान हूं,
मैं भारतीय किसान हूं।
जय जवान का नारा देने वाला,
नेता चला गया,
हमको हिम्मत देने वाला,
वह प्रणेता चला गया,
अब,
मैं ही ईश्वर मैं ही भक्ति,
मैं मेहनतकश इंसान हूं,
मैं भारत की शान हूं,
मैं भारतीय किसान हूं।।
हार्दिक धन्यवाद
सुधा तिवारी
राघव नगर देवरिया
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