आत्म निर्भर :
भारत देश हमारा TV आत्म निर्भर है
देख सकते हैं इतिहास का सर्वर हे
गांव में आज भी चरखा चलता है
लोग खादी क सुन्दर कपड़े बुनते है
घर घर गृह उद्योग चलते हैं
सभी चीज़ भारत में उपलब्ध है
सभी कॉटन कपड़े यहा मिलते हैं
अहमदाबाद मिलों का मैनचेस्टर है
विदेशी चीजों से सभी डरते हैं
खराब निकले तो लेने से डरते हैं
चाय चावल निर्यात होता है
जब विदेश में जरूरत होता है
धर्म निरपेक्षता यहा चलता है
संस्कृति पर ही सभी निर्भर है
बहुत सारे सखावत देश में चलते हैं
यहा स्वादिष्ट भोजन फ्री में मिलता है
बहुत सारे यहा नदी-नाले सरोवर हे
देश हमारा आज भी आत्म निर्भर है
ह्रदय यदि तुम्हारा निर्मल हे,
थाल मे गंगा यमुना सरस्वती हे
भारत देश मे भक्ति की धारा हे
यही विश्व में सबसे बड़ी शक्ति हे
चाणक्य नीति से चलना है
विनम्रता से प्रभावित करना हे
कोरोंना का कठिन काल चलता है
हम सभी को आत्म निर्भर रहना हे
कवि गुलाब कहे यही करना है
आत्म निर्भर सभी को चलना है
डॉ गुलाब चंद पटेल
कवि लेखक अनुवादक
इंडियन लायंस गांधी नगर
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