सादर समीक्षार्थ
सायली छंद
1 -- माँ
धरा पर
प्रभु का अवतार
जान लो
तुम।
2 - माँ
की बराबरी
कौन कर सका
तीनों लोक
में।
3 - माँ
तेरे चरण
पुनीत धाम, करो
स्वीकार मेरा
प्रणाम।
4 - बेटी
होती सदा
बेटों से बढ़कर
रखो याद
तुम।
5 - ईश्वर
का वरदान
होती है बेटी
खूब प्यार
दो।
6 - ईश्वर
की अमानत
है बेटी तो
भेद न
करो।
7 - पुत्र
के बिना
रहता त्योहार सूना
बहन रहती
उदास।
8 - भाई
रहता निराश
बिना बहन के
घर होता
सुनसान।
9 - दोनों
पुत्र- पुत्री
करते पूर्ण परिवार
तुम भी
मानों।
10 - एक
दूजे के
पूरक होते दोनों
पुत्र- पुत्री
सदा।
11 - पुत्र
होता कुलदीपक
मात-पिता का
प्रमुख सहारा
भी ।
12 - पिता
होता वटवृक्ष
समान, परिवार का
पालनहार भी
वही।
13 - पिता
पालन कर्ता
दुख हरता सबके
परिवार की
नैया ।
14 - बेटी
बेटों से
बढ़कर होती सदा
देख लो
तुम ।
15 - कोरोना
से जीना
दुश्वार, करो प्रभु
तुम ही
कल्याण।
16 - होती
नितदिन जंग
कोरोना पापी से
विजयी होता
विश्वास ।
17 - विद्यालय
प्रवेश से
होता सदा ही
पुनर्जन्म विद्यार्थी
का।
18 - विद्यालय
विद्या मंदिर
ज्ञानदायिनी का है
शाश्वत धाम
यह।
19 - विद्यालय
जन सहयोग
से ही पुष्पित
पल्लवित होता
सदा।
20 - शीतऋतु
मुस्कुराने लगी
नित जवां होती
घायल करती
सबको।
21 - शीत
पहले लुभाती
मनभाती बहलाती थी
अब है
डसती।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
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