कवि रूपक द्वारा 'गलती की सजा' विषय पर रचना

गलती की सजा.......

ये खुदा तुमने जो ये बड़ी गलती किया है
मेरी प्यारी सी जान को तुमने छीन लिया है।

ये कोई आम नहीं, ये मेरी जान से भी प्यारी थी
जिसको छीनकर तुमने सदा के लिए दर्द दिया है।

इसको छीनने वाले कोई शैतान भी अगर होता तो
वो भी जवाब देता और तुम खुदा हो तो क्या हुआ ?

इस गलती की सजा कोई और नहीं, तो हम तुम्हे देंगे
नाम तुम्हारा अब हम अपनी किताब से मिटा देंगे।

बहुत डर लिया तुमसे ना अब डर तुम्हारा मुझको है,
और ना ही जरूरत अब तुम्हारा मुझको है।

तुमने जो ये इतनी बड़ी ग़लती किया है
मेरी प्यारी सी जान को तुमने छीन लिया है।
इसकी सजा तो तुम्हे जरूर मिलेगा कोई और
नहीं तो इसकी सजा तुम्हे ये रुपक जरूर देगा।
© रुपक

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