2020 की विदाई
साल का आज अंतिम दिवस है बृहस्पतिवार।
करने वाला वह इस है हम सब तो हैं आधार।
फिर से इस साल की कभी ना पड़े परछाई।
झेलना ना हो जीवन में अपनों की तन्हाई।
इस साल ने हमें जीना भी खूब सिखाया।
अपने सारे दर्दों को जाते हुए इसने बताया।
मुझ पर आरोप लगाकर सभी किए खूब बदनाम।
स्वार्थी संसार में खुद ही करते हैं गलत काम।
छल कपट से भरा हुआ जग में मानव व्यवहार।
स्वागत से शुरू हुआ अंत में मिली मुझे फटकार।
बीस था बीस रहूंगा सीखे आने वाला इक्कीस।
प्रकृति पर खूब किए अत्याचार बनी रहेगी टीस।
दो हजार बीस कि हम कर रहे हैं विदाई।
जीवन हम कैसे जिए यह सीख सिखाई।
गीता पांडे रायबरेली उत्तर प्रदेश
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