राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय बदलाव मंच के लिए
साप्ताहिक प्रतियोगिता - दिनांक 29 दिसंबर से 5 जनवरी तक
विषय - नया साल और नये संकल्प 2021
शीर्षक - *नया वर्ष और नया संकल्प*
कहें भरत भावी प्रबल रोक सके ना कोय
हरि सुमिरन कारज करें सभी सुमंगल होय
बहुविध इस वर्ष ने दिये दुनियां को दंश अपार
करोना का कोई खोज न पाया सही उपचार
विश्व ने सराहा भारत का आचार - विचार
पर करोना बदल रहा नित नये नये आकार
यों तो जब से इस ( 2020 )वर्ष का प्रारंभ हुआ
संघर्षों अधिकारों का अविरल अविराम आगाज़ हुआ
जगत की अर्थव्यवस्था पर विभत्स भयंकर आघात हुआ
भारत सी.ए.ए. आंदोलन से बहुत-बहुत अस्त- व्यस्त हुआ
अभी अभी किसानों के आंदोलन से घात - प्रति घात हुआ
गरीब अमीर ,जन जन पर विकराल संकट का आगाज हुआ
आओ अब संकल्प करें -
अनुशासन संयम में रहकर सृजन करें, विध्वंसों से जो ह्रास हुआ
जैसे हवि देख मखशाला की , श्वान जीभ लपलपाते हैं
भारत की देख प्रगति चीन - पाक वर्ष भर रहे लार टपकाते हैं
श्वानों के अवरोध लगाने हम समिधा बहुत खोज- खोज जलाते हैं
वर्ष बीत रहा है पर अभी यज्ञ अधूरा है, हम अभिनव अग्नि जलाते हैं
आओ जो बीत रहा उसे विदाई दें, अब नूतन नव वर्ष मनाते हैं
बीत रहा वर्ष जैसा भी था ,अब हर्षोल्लास से अच्छे दिन मनाते हैं
अतीत से सीख अब नूतन नव सृजन करते हैं
देश को और स्वयं को विपदाओं से आत्मनिर्भर करते हैं
कहें भरत भावी प्रबल रोक सके ना कोय
हरि सुमिरन कारज करें सभी सुमंगल होय
जय भारत
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र" अहमदाबाद, गुजरात
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मैं चंद्रप्रकाश गुप्त चंद्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है।
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