माधवी गणवीर *वर्चस्वी* जी द्वारा अद्वितीय रचना#यादें#

*नमन मंच*
राष्ट्रीय /अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच सप्ताहिक प्रतियोगिता 
दिनांक -5 जनवरी 2021 
विषय - *यांदे*
वक्त के हसी साए को पल में समेट लेती है,
ये यादें बहुत सताती हैं, ये यादें बहुत सताती हैं।

ये यादें हैं, जो जीवन की प्रीत निभाती हैं,
 यादों में एक बात है, जो हर पल होती साथ हैं,
 मन की उदास बगियां में खुशबू सा महकाती हैं
ये यादें बहुत सताती हैं............

बचपन छूटा,बचपन का सुनहरा साथ छूटा,
अटखेलियों की मधुर आवाज अब भी गुनगुनाती है।
 वो बचपन की कहानी, दादी- नानी की जुबानी,
वो भैय्या से लड़ाई, लुकाछिपी और मार पिटाई,
ये यादें बहुत सताती हैं..........

सखी सहेली का साथ, छुप - छुप कर करते बात,
 सपने देखें लड़कपन के,मन ही मन मनपमीत के,
 पहनकर कंगना, छोड़ा बाबुल का अंगना,
पिता का स्नेह, मां का आंचल आज भी बहुत भाती है,
ये यादें बहुत सताती हैं यादें......

तनहाई में अकेले में,मन के किसी कोने में, 
कभी हंसाती, कभी रुलाती हर पल साथ निभाती हैं,
यादें बहुत सताती है,ये यादे बहुत सताती है।

माधवी गणवीर *वर्चस्वी*
छत्तीसगढ़

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