संतोष शर्मा *संतु* जी द्वारा#आख़िर क्यों हलचल होती है#

नववर्ष
आख़िर क्यों हलचल होती है?
हर वर्ष कलैंडर बदलते है,
कौनसी नई बात है?
वैसे ही सूर्योदय होता है,
और वैसे ही अस्त।
वैसे ही सुबह कार्यस्थल जाना
और शाम को घरौंदों में लौट आना।
ये तो समय का पहिया है,
जो निरंतर चलता रहता है।
नहीं *संतु* ये नववर्ष,
हमारी सोच का आईना है।
ये किसी के लिए कलैंडर की,
मात्र बदलती तारीख है,
तो किसी के लिए नए सिरे से
जीवन जीने की तमन्ना।
किसी के लिए फिर से गलतियाँ
न दोहराने का संकल्प है,
तो किसी के लिए नए अनुभवों
के साथ जीवन का प्रारंभ।
हे सखी! माना मुझे जीवन की,
परिभाषा ज्ञात नहीं,
पर मेरे लिए तो, 
फिर से उठ खड़े होना ही नववर्ष है।

नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ
संतोष शर्मा *संतु*
अहमदाबाद

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