श्रीमती पूजा नबीरा जी द्वारा अद्वितीय रचना#

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय *बदलाव मंच*
 साप्ताहिक प्रतियोगिता 
विषय  नया साल नया संकल्प 
विधा कविता
29/12/2020
नव वर्ष पर नवसंकल्प.....
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नवसंकल्प  नव इरादे....
नव आशा ने पाँव पसारे....
उदित हुए मन- क्षितिज पर....
कुछ नवनक्षत्र बन नवसितारे...
मरहम सा बन सकूँ  मैं...
घाव जिनको वक्त ने दिये....
अश्रु उनके पोंछ दूँ मैं....
जख्म जिनके हैं अभी हरे...
मन का सम्बल दे सकूँ मैं 
ख्याव जिनके हैं बिखरे हुए..
विवश नयनों में जला सकूँ मैं...
आशा के झिलमिल से दिये...
संकल्प लेकर चल सकूँ मैं...
बिन डगमगाये हुए....
नीरव हुए इस वक्त को मैं...
दे सकूँ पल कुछ खुशियों से भरे..
देख कर हैरान हूँ  मैं....
बिलखती दुनिया का सच...
नासूर से इस काँटे को....
निकाल फिर सहज़ मुस्कुराऊँ मैं
नववर्ष पर है यही मेरा संकल्प.....

स्वरचित
श्रीमती पूजा नबीरा
काटोल नागपुर
महाराष्ट्र
नया साल नया संकल्प 

स्वरचित व मौलिक

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