कविता
आया यह नव वर्ष पावन सुहाना
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आया यह नव वर्ष पावन सुहाना,
लाया यह खुशियों का खजाना,
नववर्ष में मिले सबको खुशियाँ बेशुमार,
उन खुशियों में हमें भूल नहीं जांना।
फिरेंगे अब दुर्दिन हम सभी के,
मिलेगी सभी को खुशियाँ अपार,
नहीं रहेंगे कोरोना से दुख और गम,
करेंगे सभी एक दूजे से प्यार।
रहें सभी के बाल बच्चे सलामत,
रहें सुखी से सभी घर परिवार,
नहीं रहें नौजवान बेरोजगार कभी,
उनके जीवन में नहीं हो कभी हार।
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अरविन्द अकेला
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